Google के Top 118 Ranking Factors की List (2022)

Spread the love

आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं गूगल के टॉप 150 रैंकिंग फैक्टर के बारे में , जिनकी कसौटी पर वह दुनिया भर की करोड़ों वेबसाइट को परखता है और वह उनकी क्वालिटी के हिसाब से अपने सर्च में जगह देता है। आइये अब जानते है गूगल के टॉप 150 रैंकिंग फैक्टर के बारे में :-

गूगल में वेबसाइट को रैंक कराने के लिए118 रैंकिंग फैक्टर्स की लिस्ट इस प्रकार से है।

1.Domain Age – आपकी वेबसाइट की उम्र क्या है या फिर आप कहें कि आपकी वेबसाइट कितनी पुरानी है? इन सब से भी आपकी वेबसाइट की गूगल रैंकिंग में थोड़ा बहुत फर्क जरूर पड़ता है। गूगल के वरिष्ठ इंजीनियर Matt Cutts कहते हैं कि गूगल अपने सर्च में पुरानी वेबसाइट को ज़्यादा तो नही मगर थोड़ी-बहुत वैल्यू तो जरूर देता हैं।

2.Website Extension – आप अपनी वेबसाइट पे कौन-सा Extension या फिर Top Level Domain (जैसे- .com, .net, .in) लगाते हैं, इससे भी आपकी रैंकिंग पर फर्क पड़ता है।

3. Keywords in Domain Age – वेबसाइट के नाम में Keyword के रहने से रैंकिंग में बहुत कम फर्क पड़ता है।

4. Domain Registaration – यदि आप अपनी वेबसाइट या फिर आप डोमेन कई सालों के लिए खरीद लेते हो तो गूगल की नजर में आपकी वेबसाइट की legetimacy बढ़ जाती है। इसके अलावा अगर आप अपने Domain को renew करवाते हैं तो इसके बाद आपके Domain में Organic Traffic बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।

5. Keywords in Subdomain – अगर आप की वेबसाइट के Subdomain में Keyword मौजूद है तो यह गूगल रैंकिंग को अच्छे तरीके से प्रभावित कर सकता है।

6. Domian History – अगर पहले से ही गलत तरीके से काम हुए डोमेन को खरीद लेते हो तो इससे भी आप की रैंकिंग प्रभावित हो सकती है।

Best Location Sharing करने वाले Android Apps

7. Exact Keyword Domains – अगर आप एक Keyword को ही अपनी Website बना लेते हैं (जैसे- OnlinedigitalMarketing.Com) और आपकी वेबसाइट की quality अच्छी नहीं है तो इससे भी आप की वेबसाइट की रैंकिंग पर गलत प्रभाव पड़ सकता है।

8 .Whois Info – अगर आप की वेबसाइट की जानकारी (जैसे- email address, mobile number) इंटरनेट पर मौजूद नहीं है तो इस बात के काफी Chances हैं कि गूगल आपकी वेबसाइट को गलत समझ बैठेगा । इसलिए हमें domain खरीदते समय वेबसाइट की जानकारी को Public रखना चाइये।

9.Penalizing all Sites – अगर गूगल आपकी वेबसाइट को किसी कारण से से बैन कर देता है तो इसका असर उसी IP Address से चलने वाली आपकी दूसरी वेबसाइटों पर भी पड़ सकता है।

10. Content Value– गूगल ने साफ शब्दों में ये कहा है कि उसे उन वेबसाइट को रैंक को डाउन करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी है जो कि कुछ नया और शानदार कंटेंट लोगों को provide नहीं करती हैं।

11. Contact Info – अगर आप अपनी वेबसाइट पर About Us, Contact Us जैसे पेज बनाते हैं तो गूगल पर इससे एक अच्छा impression पड़ेगा।

12. Trust Rank – अगर आपकी वेबसाइट भरोसेमंद है तो इससे आपकी वेबसाइट की गूगल रैंकिंग भी काफी हद तक प्रभावित होती है।

13. Publishing More Posts – कई लोगो का मानना हैं कि ज्यादा पोस्ट लिखने से सर्च इंजिन में आपकी वेबसाइट की Rankings सुधरती है, लेकिन गूगल के John Mueller ने इस बात को नकारा है।

14. HTML Sitemap – सर्च कंसोल में XML Sitemap सबमिट करने के साथ ही आप अपनी वेबसाइट में html sitemap के page बनाने से भी सर्च इंजनों को आपकी वेबसाइट को crawl करने में आसानी होगी है।

15.Terms & Privacy Pages -इन पेजों को अपनी वेबसाइट पर बनाने से गूगल की नजर में आपकी वेबसाइट बहुत ज्यादा भरोसेमंद बन जाती है।

16. Same Meta Description – सभी पेजेज में एक जैसे मेटा डिस्क्रिप्शन का उपयोग करने से रैंकिंग डाउन होती है।

17.Bredcrumb Navigation – इस प्रकार का वेबसाइट यूज़र और गूगल दोनों के लिए ही उपयुक्त होता है।

18. Youtube Factor – यूट्यूब गूगल की ही सर्विस है इसलिए यूट्यूब की वीडियो को गूगल एक अच्छी खासी रैंकिंग देता है।

19. Google Analytics & Search Console – कुछ लोग का कहना हैं कि Google Analytics और Search Console का इस्तेमाल करने से रैंकिंग पे फर्क पड़ता है। लेकिन गूगल ने इस प्रकार के तथ्य को नकार दिया है।

Blog वेबसाइट की Domain Authority को कैसे बढ़ाये

20. User Review – गूगल का कहना है की भी वेबसाइट की Online Rating से उसकी रैंकिंग पर अच्छा- खासा असर पड़ता है।

21. Panda Penalty – साल 2012 में गूगल के पांडा के अपडेट के वजह से ही घटिया कंटेंट गूगल में दिखना बहुत कम हो गया।

22. Linking to Bad Sites – Spam और Bad वेबसाइटों का link अपनी वेबसाइट में देने से हमारी वेबसाइट पर इसका बुरा असर पड़ता है।

23. Redirects – Redirects का गलत इस्तेमाल करने से आपकी वेबसाइट गूगल में इंडेक्स नहीं होगी।

24. Distracting Ads – जो ads परेशान करते है और जिस वेबसाइट पर ads लगे होते है , उस वेबसाइट गूगल और लोग दोनों मै से कोई पसन्द नहीं करता हैं।

25. Full Screen Ads – मोबाइल की स्क्रीन को पूरी तरह से ढक देने वाले Ads लगाने पर गूगल आपकी वेबसाइट को ज़्यादा वैल्यू नहीं देगा।

26. Over SEO– अगर आप अपनी website का ज़्यादा SEO (जैसे- Keyword Stuffing) करने पर गूगल आपकी वेबसाइट की रैंकिंग को निचे गिरा भी सकता है।

27. Trash Content – गूगल गलत कंटेंट को बहुत आसानी से पहचान लेता है।

28. Doorway Pages – जिन Pages में redirects लगे होते हैं, गूगल उन Pages को ऊपर रैंक करना पसन्द नही करता है।

29. Over Ads – कम कंटेंट पर ज़्यादा Ads लगाने से आपकी वेबसाइट की यूजर एक्सपीरियंस खराब होता है, गूगल को ये सब बिलकुल भी पसन्द नही है।

30. Hiding Affiliate Links – अगर आप लोगों को एफिलिएट लिंक्स के बारे में जानकारी नहीं देते हो तो इसे आपकी वेबसाइट की रैंकिंग down हो सकती हैं।

31. Auto Generated Content – यदि आपने किसी Online Tool की मदद से कॉन्टेंट को Copywrite करके अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं तो गूगल आपकी वेबसाइट को बैन भी कर सकता है।

32. Meta Description Keyword Stuffing – Post के Meta Description में Keyword Stuffing का इस्तेमाल करने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।

33. Linking Domain Age – किसी नई वेबसाइट की तुलना में आपकी वेबसाइट को अगर किसी पुरानी वेबसाइट से मिला हुआ बैकलिंक बहुत ज्यादा असरदार होता है।

34. Number of Linking Domain – अगर आपको जितनी ज्यादा अलग-अलग वेबसाइट से बैकलिंक्स मिलते हैं, उतनी ही ज्यादा आप की वेबसाइट की रैंकिंग में बढ़ोतरी होती है।

Push Notification क्या है? ब्लॉगर और वर्डप्रेस के लिए सर्वश्रेष्ठ Push Notification

35. Links From Same Domain – एक ही वेबसाइट से कई सारे बैकलिंक्स मिलना भी सही होता है।

36. Backlinks Anchor Text – बैकलिंक के अंदर keyword या वेबसाइट का नाम मौजूद होना बहुत अच्छा रहता है।

37. Image Alt Tag – वेबसाइट पे लगाए हुए फोटो पर Alt Tag का इस्तेमाल करना SEO के लिहाज से बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है।

38. Authority of of Linking Pages – किसी वेबसाइट के जिस Page से आपको बैकलिंक मिल रहा है उसकी पेजरैंक जितनी ज्यादा होगी, बैकलिंक उतना ही तगड़ा होगा।

39. Authority of of Linking Domain – जिस वेबसाइट से आपको बैकलिंक मिल रहा है उसकी Domain Authority से बैकलिंक की मजबूती पर बहुत फर्क पड़ता है। जितनी ज्यादा D.a होगी बैकलिंक उतना मजबूत होगा।

40. Links From Competitors – गूगल आपकी Competitors वेबसाइटों के बारे में बहुत अच्छी तरह से जानता है, इसलिए उनसे मिले हुए बैकलिंको को वह ज्यादा वैल्यू देता है।

41. Links From Bad Sites – अगर जो वेबसाइट सर्च इंजनों की गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं करती है उन वेबसाइट से आने वाले बैकलिंको आपकी वेबसाइट को बहुत नुकसान पहुंच सकता है।

42. Guest Post Links – कुछ साल पहले गेस्ट पोस्ट से मिलने वाले बैकलिंक बहुत असरदार होते थे, लेकिन अब ऐसा नही है। अगर आप बहुत सारी वेबसाइट पर गेस्ट पोस्ट करके बैकलिंक बनाते हैं तो गूगल उन लिंकों की ताकत को कम कर देता है।

43. Links From Ads – गूगल की policy कहती है कि Ads में दिया गया link नोफ़ॉलो होना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आपकी वेबसाइट बैन हो सकती है।

404 Page Error क्या है ? Website में 404 Page Not Found Error को कैसे Fix करे ?

44. Home Page Authorised – किसी वेबसाइट के Home Page से मिलने वाले बैकलिंक्स बहुत ज़्यादा ताकतवर होते हैं बजाय किसी Post या फिर Page से मिलने वाले बैकलिंक से !

45. No Follow Links – वैसे तो गूगल No Follow Links पर ज़्यादा ध्यान नही देता है लेकिन गौरतलब है कि गूगल कभी-कभी नो-फॉलो लिंक्स को भी तवज्जो दे देता।है। इसलिए वेबसाइट पर दोनों तरह Do Follow & No Follow के लिंक होने चाइये ।

46. Link Source – अगर आपके वेबसाइट पर बैकलिंक्स अलग-अलग जगहों से आ रहे हैं (जैसे- कुछ forums से, कुछ profile से और कुछ comments से) तो यह शानदार बात है। अगर ऐसा नही है तो फिर यह चिंता का विषय है

47. Other Words Around Link – गूगल किसी लिंक के अगल-बगल में मौजूद किसी दूसरे शब्दों को भी देखता है। जैसे -Sponsored, Guest/Paid Post, Link Partener जैसे शब्द लिखे होने के वजह से बैकलिंक का महत्व घट जाता है।

48. Contexual Links – किसी पेज के अंदर कंटेंट के साथ नेचुरल तरीके से दिया हुआ बैकलिंक्स बहुत ज़्यादा शक्तिशाली होता है।

49. Internal Links Anchor Text – हमारी वेबसाइट के अंदर की दूसरी पोस्ट के लिंक्स के Anchor Text से भी फर्क पड़ता है।

50. Link Location in Page – Page के कॉन्टेंट के बीच में दिया हुआ लिंक्स , फुटर या फिर साइडबार में दिए हुए लिंक्स से ज्यादा शक्तिशाली होता है।

51. Links From Same Niche Site – अगर आपकी वेबसाइट का टॉपिक Health है और अगर आपको किसी दूसरी Health वाली वेबसाइट से बैकलिंक मिलता है तो इस तरह का बैकलिंक बहुत ज्यादा प्रभावशाली होता है।

52. Page Relevancy – अगर आपको किसी अच्छे कांटेक्ट वाले वेबसाइट से बैकलिंक मिलता है तो वह बैकलिंक बहुत ज्यादा प्रभावशाली होता है।

53. Keywords in Title – जिस पोस्ट का Title आपकी पोस्ट के Title से मैच करता है तो गूगल उससे मिलने वाले बैकलिंक को ज्यादा वैल्यू देगा।

WordPress Website में 403 Forbidden Error को Fix कैसे करें?

54. Positive Link Velocity – जिस वेबसाइट को जितनी तेजी से अच्छे लिंक मिलते हैं उस वेबसाइट की रैंकिंग गूगल में उतनी ही तेजी से बढ़ती है।

55. Negative Link Velocity- गलत बैकलिंक्स ज्यादा बनने से गूगल हमारी वेबसाइट की रैंकिंग को बहुत तेजी से गिरा सकती है।

56. Links From High -Authorised Sites – अगर आप किसी एक छोटी साइट के मुकाबले बड़ी वेबसाइट से मिलने वाले का बैकलिंक्स का गूगल की नजर में बहुत ज्यादा महत्व होता है।

57. Links From Wikipedia – अगर आपको वेबसाइट को Wikipedia से बैकलिंक्स मिलता है तो इससे गूगल की नजरों में आपकी वेबसाइट का विश्वास बढ़ जाता है हालांकि Wikipedia से मिलने वाले सभी बैकलिंक्स no-follow होते हैं।

58. Backlink Age – पुराने बैकलिंक्स नए बने बैकलिंक्स की तुलना में ज्यादा स्ट्रॉन्ग होते हैं।

59. “CTR” For A keyword – अगर ज्यादातर लोग किसी keyword पर शो होने वाले रिजल्ट्स में से एक ही रिजल्ट पर click करते हैं तो गूगल उस पेज की rank बढ़ा देता है। इसको PogoSticking कहा जाता है।

60. Bounce Rate – अगर लोग गूगल से आपकी वेबसाइट पर जाकर सिर्फ एक पोस्ट ही पढ़ते हैं और फिर वहां से वापस चले जाते हैं तो इससे आपकी वेबसाइट की रैंकिंग गिर सकती है।

61. Direct Visits – अगर लोग आपकी वेबसाइट का URL को सीधे Chrome Browser में जाकर डालते हैं तो इससे आपकी वेबसाइट की Authority बढ़ती है और Authority के बढ़ने से वेबसाइट की रैंक अपने आप ही बढ़ जाती है।

62. Returning Visitors – अगर लोग आपकी वेबसाइट पर बार-बार आते हैं तो गूगल की नजर में आपकी वेबसाइट की इज्जत बढ़ जाती है

63. Pogosticking Bounce – जब गूगल से क्लिक करके लोग आपकी वेबसाइट पर जाते हैं तो फिर थोड़ी देर बाद वापस आ जाते हैं और फिर उसके बाद वह दूसरी वेबसाइट पर चले जाते हैं, तो इसे “Pogosticking Bounce” कहा जाता हैं। इससे गूगल को लगता है कि आपकी वेबसाइट लोगों के सवाल का जवाब सही से दे पाते है और गूगल उसकी रैंकिंग को गिरा देता है।

64. Block Sites – अगर लोग आपकी वेबसाइट को गूगल के Chrome Browser में ब्लॉक कर देते हैं तो इससे आपकी वेबसाइट की गूगल रैंकिंग पर खतरा हो जाता है।

65. Chrome Bookmarks – गूगल Chrome Browser में लोगों के द्वारा Bookmarks की हुई वेबसाइट की रैंकिंग सुधरती है।

66. Number of Comments – Comments की संख्या में इजाफा होने पर गूगल में आपकी साइट की रैंकिंग बढ़ने की अच्छी संभावना होती है।

500 Internal Server Error क्या है इसे कैसे Fix करें?

67. Branded Searches – अगर लोग आपके Brand या फिर आपके वेबसाइट का नाम गूगल में सर्च करके आपकी वेबसाइट पर जाते हैं तो गूगल का भरोसा आपकी वेबसाइट पर मजबूत हो जाता है।

68. Brand Name Anchor Text – अगर आपकी वेबसाइट के बैकलिंक पर आपकी साइट का नाम लिखा है तो इससे बैकलिंक का प्रभाव बढ़ जाता है।

69. Facebook Page – गूगल बहुत कम मगर आपकी वेबसाइट के Facebook Page, likes और Engagement को भी चेक करता है।

70. Twitter Profile – अच्छे Followers count वाली Twitter id आपकी वेबसाइट के ब्रांड होने की सुचना गूगल को देती है।

71. Linkdin Page – आपका Linkdin Page भी आपकी वेबसाइट की रैंकिंग पर अच्छा प्रभाव डाल सकता है।

72. Social Media Engagements – अगर लोग आपकी वेबसाइट के सोशल मीडिया एकाउंट पर बहुत ज़्यादा लाइक, कमेंट, शेयर करते हैं, तो आपकी वेबसाइट को अच्छी रैंकिंग मिलने के आसार ज़रा-सा और बढ़ जाते हैं।

73. Real Office Location – अगर आपकी कम्पनी या वेबसाइट का कोई आफिस भी है तो गूगल उस कंपनी की Location को भी जानने की कोशिश करता है।

74.Post Should Be Fresh – गूगल हाल-फिलहाल में अपडेट की हुई पोस्टों को अपने सर्च में ज़्यादा भाव देता है।

75. User Browsing History – जिन वेबसाइट को आप ब्राउज़र में जाकर कई बार विजिट करते हैं वो वेबसाइट आपको गूगल में ऊपर दिखती हैं।

76. Safe Search – अगर आपकी वेबसाइट में कुछ adult content है तो safe search feature इस्तेमाल करने वाले लोगों को आपकी पोस्ट नहीं दिखेगी।

77. © Complaints (DMCA)- अगर कोई व्यक्ति आपकी वेबसाइट पर Copyright का Complaint कर देता है तो इससे भी आपकी वेबसाइट की रैंकिंग गिर सकती है।

78. Local Searches – अपने आसपास की जानकारी लेने के लिए किए गए गूगल में सर्च Organic Listings से पहले Local Results को दिखाता है। जैसे- Restaurant, Hotel

79. Top Stories Box – कुछ बड़ी वेबसाइट जिनका Fresh Trending Content होता है, वह स्टोरीज गूगल सर्च में टॉप में दिखता है।

Blog कितने प्रकार के होते हैं? Types of Blogs in Hindi

80. Big Brands Rank Boosts – साल 2009 के Vince Update के बाद गूगल ने ब्रांड वेबसाइट को अपने सर्च इंजन में ज्यादा वैल्यू देना शुरू किया था।

81. Shopping Results – यदि गूगल को ये लगता है कि लोग कुछ खरीदने के लिए सर्च कर रहें है तो वह उन्हें Organic Results से पहले कुछ Shopping से Related चीजें दिखाता है।

82. Image Results – अगर गूगल को लगता है कि लोग फोटो के लिए सर्च कर रहे हैं तो गूगल उन्हें Organic Results से पहले Photos दिखाता है।

83. Single Site Results – अगर आप गूगल में किसी ब्रांड का नाम सर्च करते हैं और सारे रिजल्ट एक ही वेबसाइट से आते हैं तो गूगल उस वेबसाइट की रैंकिंग को बढ़ाता है।

84. Hacked Websites – अगर गूगल को कभी ऐसा लगता है कि वेबसाइट हैक हो गई है तो वह उस वेबसाइट उसको अपने सर्च इंजन में दिखाना बंद कर देता है ताकि उससे किसी दूसरे वेबसाइट को कोई नुकसान ना हो।

85. Rapid Unnatural Links – अगर किसी वेबसाइट के लिंक्स बहुत तेजी से बनते हैं तो गूगल Spammy links की तरफ इशारा करता है।

86. Penguin Penalty – साल 2012 में आए गूगल के Penguin जिन वेबसाइट को नुकसान पहुंचा था, वो वेबसाइट आज भी गूगल में कम दिखाई देती है। बता दें कि Penguin अपडेट के आने से Black Hat SEO करने वाली वेबसाइट को सजा मिली थी।

87. Unnatural Link Warning – गलत तरह से Backlinks बनाने से गूगलSearch Console के माध्यम से लोगों को चेतावनी देता है। इन चेतावनियों पर ध्यान न देने से गूगल आपकी वेबसाइट की रैंकिंग को नुकसान पहुंच सकता है।

88. Low Quality Directory Links – घटिया ब्लॉग Directory से बहुत सारे लिंक बनाने पर आप की वेबसाइट पर इसका बहुत बुरा असर पड़ सकता है।

89. Widget Links – जब हम किसी theme, tool, widget या gadget को बनाकर उसमें अपनी वेबसाइट का link दे देते हैं, तो उसमें जो लिंक होता है उसे गूगल में backlinks में नहीं गिनता है।

SEMrush क्या है ? SEO Tool for Blogging

90. Links From Same IP- गूगल हमारी Device का IP Address को भी track करता रहता है और अगर एक ही IP से चलने वाले दो या फिर अधिक ब्लॉगों से आपकी वेबसाइट को बैकलिंक मिलते हैं तो उनकी वैल्यू अपने आप ही घट जाती है।

91. Press Release & Article Links – गूगल अब Press Release और Article Directory के links को ज़्यादा महत्व नहीं देता है।

92. Manual Actions – अगर कोई व्यक्ति आपकी वेबसाइट की complaint गूगल से करता है तो इसे Manual Action कहा जाता है। इससे आपकी वेबसाइट पर काफी बुरा असर पड़ता है।

93. Selling Links – अगर लिंक्स बेचने या खरीदने का गूगल को पता चलता है तो आपकी वेबसाइट बैन हो सकती है।

94. Google Sandbox Effect – जब किसी नई वेबसाइट पर बहुत तेजी से बैकलिंक्स मिलते हैं तो गूगल उन्हें शक के घेरे में खड़ा करता है और उन्हें सर्च इंजन में कम दिखाता है। इसे ‘सैंडबॉक्स इफ़ेक्ट’ कहते हैं।

95. Google Dance – जब गूगल अपने रैंकिंग के नियमों (Algorthm) में कुछ बदलाव करता है तो कुछ समय के लिए बहुत सारी वेबसाइट की रैंकिंग में गड़बड़ी आ जाती हैं, इसे ‘गूगल डांस’ कहा जाता है।

96. Disavow Tool – अगर आपकी वेबसाइट पर नेगेटिव SEO का यूज करने की वजह से कोई Penalty लग रखी है तो आप उसे ‘Disavow Tool’ की मदद से हटा सकते हैं।

97. Reconsideration Request – यदि आपकी साइट पर गूगल की कोई पेनल्टी पहले से लगी हुई है तो आप गूगल को एक अच्छी-सी Request लिख कर उसे हटा सकते हैं।

98. Page Speed – जो वेबसाइट गूगल सर्च में बहुत तेजी खुलती खुलती है उसे वह ज़्यादा प्राथमिकता देता है। इसलिए वेबसाइट की अच्छी गूगल रैंकिंग पाने के लिए हमें हल्की कोडिंग और कम टूल्स का उपयोग करना चाहिए।

99. Use of OF Amp (ACCELERATED MOBILE PAGES)– जो वेबसाइटे AMP का इस्तेमाल करती है (AMP से मोबाइल में website तेजी से खुलती हैं) उन्हें गूगल अच्छी रैंकिंग देने में नही हिचकिचाता। जैसे- की News Websites

100. Heavy Codding – बहुत ज़्यादा javascript और bootstrap coding का इस्तेमाल करने से वेबसाइट बहुत भारी हो जाती है, जिससे वेबसाइट की खुलने की रफ्तार बहुत हद घट जाती है और इससे रैंकिंग पर भी बहुत बुरी तरह से प्रभाव पड़ता है

101. Site Architecture – जो वेबसाइट अच्छे तरीके से बनी होती है वह वेबसाइट आसानी से गूगल में रैंक हो जाती है।

102. Server Downtime – अगर किसी वेबसाइट का सर्वर बहुत ज़्यादा बार डाउन रहता है तो इससे भी वेबसाइट की रैंकिंग परबुरा असर पड़ता है।

Keyword क्या है ? Keyword Research कैसे करें

103. Server Location – वेबसाइट का सर्वर किस जगह या देश में है, इससे भी रैंकिंग पर फर्क पड़ता है। सर्वर नजदीक का होना रैंकिंग के लिए अच्छा रहता है।

104. SSL Ceartificate – Blogger प्लेटफार्म पर बनी वेबसाइट के लिए SSL Ceartificate का होना जरूरी नही होता है लेकिन वर्डप्रेस वेबसाइट के लिए SSL Ceartificate जरुरी होता है। इससे वेबसाइट Secure रहती है और इससे वेबसाइट के URL में https लिखा आ जाता है।

105. Compatible All Devices – जो वेबसाइट हर डिवाइस जैसे phone, tablet, computer पर अच्छे तरीके से ओपन हो जाती है, गूगल को वो अच्छी लगती है।

106. Site Usability – जो वेबसाइट अच्छे ढंग से बनी नहीं होती है अक्सर लोग उस वेबसाइट को पसन्द नहीं करते हैं। और याद रखिये जिस वेबसाइट को लोग पसन्द नहीं करते, उसे वेबसाइट को गूगल भी पसन्द नहीं करता है।

107. Remove Bugs – जिस वेबसाइट में Bugs या फिर Virus होने की संभावना होती हैं, गूगल उस वेबसाइट को इंडेक्स नहीं करता है।

108. IP Address Spamming – अगर गूगल आपके कम्प्यूटर के IP Address Spam करार देता है, तो इससे उस कंप्यूटर से संचालित आपकी सारी वेबसाइटों पर बुरा असर पड़ता है।

109. Sitemap – अपनी वेबसाइट का Sitemap सर्च इंजनों जैसे-गूगल, बिंग, याहू मे सबमिट कराने से रैंकिंग में उछाल आता है।

110. Robots .Txt – अपने वेबसाइट पर Robots .Txt डालने से सर्च इंजन को ये पता लगता हैं कि वेबसाइट के कौन-कौन से Pages या पोस्ट को रैंक करना है और कौन-कौन से को नहीं।

111. Crawl Rate – Crawl Rate किसी वेबसाइट के पेजों की वह संख्या होती है जिसकी जानकारी पहले से गूगल के पास मजजूद होती है यानी जिन्हें गूगल Crawl कर चुका होता है।

112. Redirects – हमें अपनी वेबसाइट पर बहुत ज्यादा Redirects नहीं लगाने चाहिए। क्यों की इससे वेबसाइट का SEO खराब हो जाता है।

113. 404-Errors – बहुत सारे Broken लिंक्स जिससे URL को बदल दिया जाता है 404-Errors के होने से वेबसाइट के SEO पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

114. Geographical Location – हमें अपने वेबसाइट पर Geographical Location लगाना चाइये क्यों की गूगल अलग-अलग जगह के हिसाब से अलग-अलग रिजल्ट दिखाता है। जैसे- अगर कोई व्यक्ति अमेरिका में Independence Day सर्च करता है तो वह गूगल सर्च 4 July दिखाता है और अगर यही चीज कोई व्यक्ति भारत में सर्च करता है तो गूगल में 15 August दिखाता है। ऐसा जगहों में फर्क के कारण होता है।

115. URL Structure – URL छोटे और कीवर्ड वाले होने चाहिए।

Broken link क्या है? Broken link को वेबसाइट से कैसे हटाएँ

116. Schema Markup – वेबसाइट का Schema Markup करने से गूगल आपकी वेबसाइट को लोगों को को तरह से दिखा पाता है।

117. Ads Balance – हमें अपनी वेबसाइट पर बहुत ज्यादा Ads नहीं लगानी चाहिए। ज्यादा Ads लगाने वेबसाइट पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

118. Web Hosting – वेबसाइट के लिए हमें अच्छी Web Hosting लेनी चाहिए। इससे SEO पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

Conclusion

हेलो दोस्तों में उम्मीद करता हूं की आप लोगों को Google के Top 118 Ranking Factors की List (2022), की जानकारी आप लोगों को अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताएं और अपने दोस्तों को शेयर करना ना भूले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *